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होली की कथायें

DeepakDeepak

होली की कथायें

होलिका एवं प्रह्लाद

होली की अनेक कथायें प्रचलित हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय कथा प्रह्लाद के विषय में है, जो भगवान विष्णु के प्रबल भक्त थे।

जब हिरण्यकशिपु अमरता प्राप्त करने के हेतु भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने में व्यस्त था, उसी समय राक्षस हिरण्यकशिपु एवं उसकी पत्नी कयाधु के पुत्र प्रह्लाद का जन्म एवं पालन-पोषण देवर्षि नारद के मार्गदर्शन में हुआ था।

प्रह्लाद का पिता हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का शत्रु था। वह अपने पुत्र द्वारा भगवान विष्णु की भक्ति करने के घोर विरोधी था। जब प्रह्लाद ने हिरण्यकशिपु की आज्ञा मानने को अस्वीकार कर दिया, तो हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन राक्षसी होलिका को प्रह्लाद की हत्या करने का आदेश दिया। होलिका के पास अग्नि से सुरक्षित रहने हेतु भगवान ब्रह्मा द्वारा उपहार में दी गयी दिव्य ओढ़नी थी। होलिका ने प्रह्लाद को विशाल अग्नि में जलाकर मारने की योजना बनायी। होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ गयी, किन्तु भगवान विष्णु की असीम कृपा से, होलिका के स्थान पर दिव्य ओढ़नी ने प्रह्लाद को अग्नि से सुरक्षित बचा लिया।

लोककथाओं के अनुसार, अग्नि दहन होने पश्चात प्रह्लाद ने भगवान विष्णु का नाम जपना आरम्भ कर दिया था। जब भगवान विष्णु ने अपने प्रिय भक्त को सङ्कट में देखा, तो उन्होंने होलिका के ऊपर से ओढ़नी को अपने भक्त प्रह्लाद पर उड़ाने के लिये वायु के एक झोंके को आदेश दिया। इसीलिये राक्षसी होलिका विशाल अग्नि में भस्मीभूत हो गयी तथा भगवान विष्णु की कृपा तथा मायावी ओढ़नी के कारण प्रह्लाद को कोई क्षति नहीं हुयी।

तत्पश्चात्, जब हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के अपने प्रयासों विराम नहीं लगाया, तो भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा करने तथा राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने हेतु भगवान नरसिंह के रूप में पृथ्वी पर अवतार धारण किया।

होली के त्योहार का नाम होलिका की कथा के आधार पर पड़ा है तथा होली की अग्नि को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।

Kalash
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