महा शिवरात्रिभगवान शिव को समर्पित महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार के साथ विभिन्न पौराणिक कथायें जुड़ी हुयी हैं। अधिकांश पौराणिक कथाओं के अनुसार, महा शिवरात्रि का दिन भगवान शिव से सम्बन्धित है और भगवान शिव से सम्बन्धित ब्रह्माण्ड की विभिन्न घटनायें महाशिवरात्रि के दिन ही सम्पन्न हुयी हैं।
महा शिवरात्रि का प्रारम्भ एवम् महत्व
महाशिवरात्रि के सम्बन्ध में विभिन्न पौराणिक कथायें हैं। महा शिवरात्रि मनाने के सम्बन्ध में कुछ लोकप्रिय मान्यतायें निम्नलिखित हैं -
ऐसी मान्यता है कि ब्रह्माण्ड के निर्माण के समय, भगवान ब्रह्मा की कृपा से, भगवान शिव ने महा शिवरात्रि की मध्यरात्रि के समय भगवान रुद्र के रूप में अवतार लिया था।
एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान शिव एवम् देवी पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन ही हुआ था। अतः इस त्यौहार को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। इसीलिये, बहुत से शिव भक्त शिवरात्रि को भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की वर्षगाँठ के रूप में मनाते हैं।
हिन्दु धर्म (सनातन धर्म) के अनुसार, ब्रह्माण्ड का निर्माण और विनाश एक चक्रीय प्रक्रिया है। उचित समय आने पर, भगवान शिव ताण्डव नामक लौकिक नृत्य करते हुये अपने तृतीय नेत्र की अग्नि से सम्पूर्ण सृष्टि को नष्ट कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि महा शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ताण्डव नृत्य करते हैं। इसीलिये महा शिवरात्रि भगवान शिव द्वारा किये गये ब्रह्माण्डीय नृत्य (ताण्डव) की वर्षगाँठ का प्रतीक है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार महासागर के मन्थन के अवसर पर समुद्र से विष भी निकला था। इस विष में सम्पूर्ण सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति थी। भगवान शिव ने इस भयानक विष का पान कर लिया था और सम्पूर्ण सृष्टि को विनाश से बचा लिया था। इसीलिये महा शिवरात्रि को भगवान शिव के प्रति आभार प्रकट करने के रूप में भी मनाया जाता है।
महा शिवरात्रि का दिन भगवान शिव का सर्वाधिक प्रिय दिवस माना जाता है। इसीलिये भक्तगण इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं और भगवान शिव के सर्वाधिक प्रिय दिवस पर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये दिन-रात का उपवास करते हैं।
महा शिवरात्रि के देवता
भगवान शिव महा शिवरात्रि के सर्वप्रमुख देव हैं। महाशिवरात्रि के पवित्र दिन भगवान शिव के लिङ्गम रूप की पूजा की जाती है।
महा शिवरात्रि दिनाँक और समय
पूर्णिमान्त कैलेण्डर के अनुसार महा शिवरात्रि का दिन - फाल्गुन (12वें माह) की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (14वाँ दिन)
अमान्त कैलेण्डर के अनुसार महा शिवरात्रि का दिन - माघ (11वें माह) की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (14वाँ दिन)
यह ध्यान रहे कि दोनों कैलेण्डरों में महा शिवरात्रि का पर्व एक ही दिन मनाया जाता है। चन्द्र महीनों के नामकरण के कारण दोनों कैलेण्डरों में माह का नाम भिन्न होता है।
महा शिवरात्रि त्यौहारों की सूची
महा शिवरात्रि हर्ष और उल्लास का दिन नहीं बल्कि तपस्या का दिन है। महा शिवरात्रि एक दिन और रात के लिये मनायी जाती है।
महा शिवरात्रि पर अनुष्ठान
दिन और रात का उपवास
शिवलिंग की पूजा
जल, दूध और शहद से शिवलिंग का अभिषेक
शिवलिंग को बिल्व पत्र अर्थात बेल के पत्ते समर्पित करना
शिवलिंग को श्वेतार्क के फूल चढ़ाना
शिव मन्त्र और स्तोत्रम का जाप करते हुये रात्रि जागरण करना
महा शिवरात्रि व्यञ्जन
भाँग और ठण्डाई
महा शिवरात्रि पर सार्वजनिक जीवन
महा शिवरात्रि भारत में अनिवार्य राजपत्रित अवकाश नहीं है। हालाँकि, उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में महा शिवरात्रि के दिन एक दिन का अवकाश होता है। अन्य राज्यों में अधिकांश सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक स्थान सामान्य रूप से कार्य करते हैं। छोटे शहरों में जहाँ शिव जी की बारात अर्थात भगवान शिव की शोभायात्रा निकाली जाती है, वहाँ यातायात प्रभावित हो सकता है या वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की जाती है।
महा शिवरात्रि के दिन अधिकांश शिव मन्दिरों में भक्तों की लम्बी श्रृंखला देखी जा सकती है। चाहें जो मन्दिर या शहर हो, चाहें छोटा हो या बड़ा हो, भगवान शिव का अभिषेक करने के लिये अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हुये भक्तों की कतार को देखना आज के दिन बहुत ही आम दृश्य होता है।
साँयकाल में अधिकांश शिव मन्दिर शिवलिंग के विशिष्ट दर्शन प्रदान कराते हैं और हजारों भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिये शिव मन्दिरों में जाते हैं।