प्रस्तुत लेख में हम विस्तृत हनुमान पूजा विधि वर्णित कर रहे हैं, जिसका प्रयोग हनुमान जयन्ती एवं भगवान हनुमान से सम्बन्धित अन्य विशेष पर्वों पर किया जाता है। निम्नलिखित पूजा विधि में सभी सोलह चरण समिल्लित हैं, जो षोडशोपचार हनुमान पूजा विधि का भाग हैं।
भगवान हनुमान जी की पूजा सङ्कल्प के साथ आरम्भ करनी चाहिये। सङ्कल्प हेतु पञ्च-पात्र से जल लेकर दाहिने हाथ की हथेली को स्वच्छ करें। तदोपरान्त दाहिने हाथ की हथेली में स्वच्छ जल, अक्षत, पुष्प आदि को लेकर निम्नलिखित सङ्कल्प मन्त्र का उच्चारण करें। सङ्कल्प मन्त्र पढ़ने के पश्चात् जल भूमि पर छोड़ दें।
सङ्कल्प करने के उपरान्त हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष आवाहन मुद्रा (दोनों हथेलियों को मिलाकर तथा दोनों अँगूठों को अन्दर की ओर मोड़ने से आवाहन मुद्रा बनती है) प्रदर्शित करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें।
ध्यान अपने समीप पूर्व से स्थापित भगवान हनुमान की प्रतिमा के समक्ष किया जाना चाहिये। हनुमान जी का ध्यान करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना करें।
भगवान हनुमान का ध्यान करने के पश्चात्, उन्हें आसन ग्रहण कराने हेतु दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर अञ्जलि में पाँच पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हनुमान जी की प्रतिमा के सामने पुष्प अर्पित कर दें।
भगवान हनुमान को आसन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें चरण प्रक्षालन हेतु जल अर्पित करें।
पाद्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को अभिषेक हेतु जल अर्पित करें।
अर्घ्य अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
आचमन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को दुग्ध, दही, मधु, घृत तथा शक्कर आदि से पञ्चामृत स्नान करायें।
पञ्चामृत स्नान के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, भगवान हनुमान को गङ्गाजल से स्नान करायें।
स्नान अर्पित करें के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को मौञ्जी मेखला अर्पित करें।
मौञ्जी मेखला अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को कटिसूत्र (करधनी) तथा कौपीन (लँगोट) अर्पित करें।
कटिसूत्र एवं कौपीन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को उत्तरीय (ऊपरी देह के वस्त्र) अर्पित करें।
उत्तरीय अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, भगवान हनुमान को यज्ञोपवीत अर्पित करें।
यज्ञोपवीत अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को सुगन्ध (इत्र) अर्पित करें।
गन्ध अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को अक्षत (बिना टूटे चावल) अर्पित करें।
अक्षत अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को पुष्प अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, ग्रन्थि पूजा (तेरह गाँठ लगाकर दोराक हेतु पवित्र सूत्र निर्माण) करें।
तदोपरान्त उन देवताओं की पूजा करें जो स्वयं भगवान हनुमान की देह के अङ्ग हैं। पूजन हेतु बायें हाथ में चन्दन, अक्षत एवं पुष्प लें तथा निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुये दाहिने हाथ से उन्हें हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समीप अर्पित कर दें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को धूप अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को दीप अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को नैवेद्य अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को शुद्ध जल अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उत्तरापोषण (आचमन एवं अन्नदाता के प्रति धन्यवाद प्रकट करने) हेतु हनुमान जी को शुद्ध जल अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हस्त प्रक्षालन हेतु हनुमान जी को जल अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, आचमन हेतु हनुमान जी को शुद्ध जल अथवा गङ्गाजल अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को सुनहरे अथवा पीले पुष्प अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।
ताम्बूल समर्पण के उपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण कर, भगवान हनुमान की आरती करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को पुष्पाञ्जलि अर्पित करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पुष्पों के साथ हनुमान जी की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा, अर्थात बायीं ओर से दायीं ओर परिक्रमा करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, हनुमान जी को नमस्कार करें।
तत्पश्चात् भक्त को दोरक (ग्रन्थि पूजा के समय निर्मित पवित्र रक्षा सूत्र) को ग्रहण करना चाहिये तथा निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये दाहिने हाथ से बाँधना चाहिये।
दोरक ग्रहण के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पूर्वदोर-कोत्तारण अनुष्ठान करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये हनुमान जी से प्रार्थना करें।
तत्पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये वायन अर्थात मिष्ठान आदि अर्पित करें।
वायन ग्रहण करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना चाहिये।