भगवान विष्णु, हिन्दु धर्म के सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। भगवान शिव एवं भगवान ब्रह्मा के साथ ही भगवान विष्णु भी हिन्दु धर्म के तीन प्रमुख देवों, अतः त्रिमूर्ति में से एक हैं। भगवान विष्णु सृष्टि के संरक्षक एवं पालक हैं, तथा भगवान ब्रह्मा एवं भगवान शिव क्रमशः सृष्टि के निर्माता एवं संहारक हैं।
भगवान विष्णु, वैष्णव सम्प्रदाय के सर्वोच्च पूज्यनीय देवता हैं।
देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं, जो सम्पत्ति एवं समृद्धि की देवी हैं। यह मान्यता है कि, देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के हृदय में निवास करती हैं, तथा जो भक्तगण भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि एवं सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
दक्षिण भारतीय परम्पराओं के अनुसार, श्रीदेवी एवं भूमादेवी भगवान विष्णु की दो अर्धांगिनी हैं। अतः कुछ चित्रों में भगवान विष्णु को दोनों देवियों के साथ दर्शाया जाता है।
भगवान विष्णु क्षीर सागर में निवास करते हैं। भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर विश्राम करते हैं। भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल पुष्प प्रकट होता है, जो देवी लक्ष्मी का प्रिय पुष्प है तथा उस कमल पुष्प पर भगवान ब्रह्मा विराजमान होते हैं।
भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी के 18 पुत्र हैं, जिनका नाम देवसखा, चिक्लीत, आनन्द, कर्दम, श्रीप्रद, जातवेद, अनुराग, सम्वाद, विजय, वल्लभ, मद, हर्ष, बल, तेज, दमक, सलिल, गुग्गुल तथा कुरूण्टक है।
भगवान विष्णु के सर्वाधिक महत्वपूर्ण मूल मन्त्रों में से एक निम्नलिखित है-
ॐ नमोः नारायणाय। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
भगवान विष्णु के 10 लोकप्रिय अवतार हैं, जिन्हें दशावतार के रूप में जाना जाता है।
दशावतार, भगवान विष्णु के अवतारों की सर्वाधिक लोकप्रिय सूची है। यद्यपि, भगवान विष्णु के भक्तों के मध्य एक अन्य सूची भी प्रचलित है, जिसमें भगवान विष्णु के 24 अवतारों को सूचीबद्ध किया गया है।