देवी उमा के रूप में अवतार लेने वाली
जो भगवान शिव की पत्नी हैं।
जो विजय प्राप्त करने वाली हैं।
जो सफलता प्राप्त करने वाली हैं।
जो वराह भगवान की शक्ति हैं।
जिन्हें कमल पुष्प प्रिय है।
जो देवी लक्ष्मी के स्वरूप में स्थित हैं।
जो सृष्टि में माया के रूप में विद्यमान हैं।
जो अपरा प्रकृति के रूप में विद्यमान हैं।
जो अजन्मी हैं / जो माया स्वरूपा हैं।
जो भगवान शंकर की धर्मपत्नी हैं।
जो शिव जी की अर्धाङ्गिनी हैं।
जो उग्र रूप में विराजमान हैं।
जो कुण्डलिनी के रूप में स्थित हैं।
जो प्रत्येक क्रिया में विद्यमान हैं।
जो शुभता एवं धन-सम्पत्ति की देवी हैं।
जो सुन्दर एवं वैभाशाली हैं।
जो शहद के समान मधुर प्रकृति वाली हैं।
जो सुख-सौभाग्य की देवी हैं।
जो सम्पूर्ण जगत की माता हैं।
जो संसार सागर से तारने वाली हैं।
जो कमल धारण करने वाली हैं।
जो श्री पद्मनाभ (विष्णु जी) की बहन हैं।
जो व्रत के समय में पत्ते तक ग्रहण नही करती हैं।
जो सुखद, आकर्षक एवं सुन्दर हैं।
जो सम्पूर्ण सृष्टि का पालन करने वाली माता हैं।
जो कुमारी कन्या के रूप में विराजमान हैं।
जो पर्वतों पर निवास करती हैं।
जो भगवान शम्भू की अर्धाङ्गिनी हैं।
जो अत्यन्त सुन्दर रूप वाली हैं।
जो स्वयं मित्रता स्वरूपा हैं।
जो स्वयं सृष्टि के रूप में विद्यमान हैं।
जो भगवान मृड (शिव) की पत्नी हैं।
जो सिंह के समान गर्जना करने वाली हैं / जो सिंह पर आरूढ़ रहती हैं।
जो अत्यधिक क्रोध में हैं।
जो तेजपूर्ण एवं उज्ज्वल हैं।
जो सूक्ष्म रूप में कण-कण में व्याप्त हैं।
जो सर्वोच्च से भी सर्वोच्च हैं।
जो वैभवशाली एवं प्रतिभाशाली हैं।
जो सभी वर्ण के रूपों में स्थित हैं।
जो भगवान शिव को प्रिय हैं।
जो महालक्ष्मी स्वरूपा हैं।
जो स्वयं श्रेष्ठ सिद्धियों के रूप में स्थित हैं।
जी भगवान शिव की शक्ति हैं।
जो तीनों लोकों का पालन करती हैं।
जो प्रत्यक्ष एवं दृष्टिगोचर हैं।
जो समय के तीनों कालों में स्थित हैं।
जो त्रिपुरासुर का अन्त करने वाले भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं।
जो इच्छा, ज्ञान एवं क्रिया रूपी तीन शक्तियों में स्थित हैं।
जो गायत्री के त्रिपदा छन्द में स्थित हैं।
जो दैत्यनाशक, विघ्ननाशक, रोगनाशक, पापनाशक तथा शत्रुनाशक हैं।
जो भगवान ब्रह्मा की शक्ति हैं।
जो तीनों लोकों में निवास करती हैं।
जो महर्षि अत्रि की पुत्री हैं।
जो अति गुप्त एवं रहस्यमयी हैं।
जो तीन स्वरों (उदात्त, अनुदात्त एवं स्वरित) के रूप में स्थित हैं।
जो सत्व, रज एवं तम के तीन गुणों से युक्त हैं।
जो सत्व, रज एवं तम के तीन गुणों से मुक्त हैं।
जो सभी प्रकार के परिवर्तन एवं मतभेद से मुक्त हैं।
जो समस्त प्रकार के बन्धनों से मुक्त हैं।
जो ज्वाला के रूप में विद्यमान हैं।
जो विभिन्न प्रकार की मालायें धारण किये हुये हैं।
जिनका वेदों में पुनः-पुनः वर्णन प्राप्त होता है।
ॐ क्रव्यादोप निबर्हिण्यै नमः।
जो राक्षसों का संहार करती हैं।
देवी दुर्गा का एक रूप जो कांची में पूजा जाता है / जिनके नेत्र मोहक हैं।
जो संसार का मन मोहने वाली हैं।
जो मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
जो सर्वशक्तिशाली परमात्मा स्वरूपा हैं।
जो ज्ञानी एवं बुद्धिशाली हैं।
जो कामदेव के समान सुन्दर हैं।
जो महेश्वर (शिव जी) की धर्मपत्नी हैं।
देवी दुर्गा का उग्र स्वरूप
जो भैरव (भगवान शिव) की पत्नी हैं।
जो 14 भुवनों की अधिष्ठात्री देवी हैं।
जो सम्पूर्ण सृष्टि में आनन्द-मङ्गल करती हैं।
जो सत्य को जानने वाली हैं।
जो अज्ञान रूपी अहंकार को नष्ट करती हैं।
ॐ महेश्वरप्रियंकर्यै नमः।
जो भगवान शिव को आनन्द प्रदान करती हैं।
ॐ महात्रिपुरसुन्दर्यै नमः।
जो तीनों लोकों में सर्वाधिक सुन्दर देवी त्रिपुरसुन्दरी के रूप में स्थित हैं।
जो समस्त कष्टों को नष्ट करने वाली सर्वोच्च देवी हैं।