☰
Search
Mic
En
Android Play StoreIOS App Store
Setting
Clock

Shri Mahavir Chalisa - English Lyrics and Video Song

DeepakDeepak

Shri Mahavir Chalisa

Mahavir Chalisa is a devotional song based on Shri Mahavir. Many people recited Mahavir Chalisa on festivals dedicated to Shri Mahavir.

X

॥ दोहा ॥

शीश नवा अरिहन्त को, सिद्धन करूँ प्रणाम।

उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम॥

सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।

महावीर भगवान को, मन-मन्दिर में धार॥

॥ चौपाई ॥

जय महावीर दयालु स्वामी। वीर प्रभु तुम जग में नामी॥

वर्धमान है नाम तुम्हारा। लगे हृदय को प्यारा प्यारा॥

शांति छवि और मोहनी मूरत। शान हँसीली सोहनी सूरत॥

तुमने वेश दिगम्बर धारा। कर्म-शत्रु भी तुम से हारा॥

क्रोध मान अरु लोभ भगाया। महा-मोह तमसे डर खाया॥

तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता। तुझको दुनिया से क्या नाता॥

तुझमें नहीं राग और द्वेश। वीर रण राग तू हितोपदेश॥

तेरा नाम जगत में सच्चा। जिसको जाने बच्चा बच्चा॥

भूत प्रेत तुम से भय खावें। व्यन्तर राक्षस सब भग जावें॥

महा व्याध मारी न सतावे। महा विकराल काल डर खावे॥

काला नाग होय फन-धारी। या हो शेर भयंकर भारी॥

ना हो कोई बचाने वाला। स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला॥

अग्नि दावानल सुलग रही हो। तेज हवा से भड़क रही हो॥

नाम तुम्हारा सब दुख खोवे। आग एकदम ठण्डी होवे॥

हिंसामय था भारत सारा। तब तुमने कीना निस्तारा॥

जन्म लिया कुण्डलपुर नगरी। हुई सुखी तब प्रजा सगरी॥

सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे। त्रिशला के आँखों के तारे॥

छोड़ सभी झंझट संसारी। स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी॥

पंचम काल महा-दुखदाई। चाँदनपुर महिमा दिखलाई॥

टीले में अतिशय दिखलाया। एक गाय का दूध गिराया॥

सोच हुआ मन में ग्वाले के। पहुँचा एक फावड़ा लेके॥

सारा टीला खोद बगाया। तब तुमने दर्शन दिखलाया॥

जोधराज को दुख ने घेरा। उसने नाम जपा जब तेरा॥

ठंडा हुआ तोप का गोला। तब सब ने जयकारा बोला॥

मन्त्री ने मन्दिर बनवाया। राजा ने भी द्रव्य लगाया॥

बड़ी धर्मशाला बनवाई। तुमको लाने को ठहराई॥

तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी। पहिया खसका नहीं अगाड़ी॥

ग्वाले ने जो हाथ लगाया। फिर तो रथ चलता ही पाया॥

पहिले दिन बैशाख वदी के। रथ जाता है तीर नदी के॥

मीना गूजर सब ही आते। नाच-कूद सब चित उमगाते॥

स्वामी तुमने प्रेम निभाया। ग्वाले का बहु मान बढ़ाया॥

हाथ लगे ग्वाले का जब ही। स्वामी रथ चलता है तब ही॥

मेरी है टूटी सी नैया। तुम बिन कोई नहीं खिवैया॥

मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर। मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर॥

तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ। जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ॥

चालीसे को चन्द्र बनावे। बीर प्रभु को शीश नवावे॥

॥ सोरठा ॥

नित चालीसहि बार, पाठ करे चालीस दिन।

खेय सुगन्ध अपार, वर्धमान के सामने।

होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो।

जिसके नहिं सन्तान, नाम वंश जग में चले।

Kalash
Copyright Notice
PanditJi Logo
All Images and data - Copyrights
Ⓒ www.drikpanchang.com
Privacy Policy
Drik Panchang and the Panditji Logo are registered trademarks of drikpanchang.com
Android Play StoreIOS App Store
Drikpanchang Donation