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दुर्गा पूजा के समय मन्त्र सहित पुष्पाञ्जलि

DeepakDeepak

मन्त्र सहित पुष्पाञ्जलि

दुर्गा पूजा पुष्पाञ्जलि

हिन्दु धर्म में, देवी-देवताओं को पुष्प अर्पित करने की क्रिया को पुष्पाञ्जलि कहा जाता है। पश्चिम बंगाल एवं अन्य पूर्वी राज्यों में, पुष्पाञ्जलि दुर्गा पूजा के समय किया जाने वाले अनिवार्य अनुष्ठान बन गया है। पुष्पाञ्जलि दो शब्दों, पुष्पम् तथा अञ्जलि से मिलकर बना है। संस्कृत में पुष्पम् का अर्थ है फूल एवं अञ्जलि का अर्थ है, हाथ जोड़कर अर्पित करना। अतः पुष्पाञ्जलि का अर्थ है, हाथ जोड़कर पुष्प अर्पित करना।

दुर्गा पूजा की अवधी में प्रत्येक दिन पुष्पाञ्जलि अर्पित की जाती है। हालाँकि, दुर्गा अष्टमी का दिन देवी दुर्गा को अञ्जलि अर्पित करने हेतु सर्वाधिक शुभ एवं महत्वपूर्ण माना जाता है। अधिकांश बंगाली भक्तगण यह सुनिश्चित करते हैं कि, अन्य सभी दिनों में नहीं, तो कम से कम एक बार दुर्गा अष्टमी के दिन अञ्जलि अर्पित अवश्य करें। अनेक भक्त दुर्गा पूजा के दिनों में पूरे दिन उपवास का पालन करते हैं तथा साँयकाल में माँ दुर्गा को पुष्पाञ्जलि अर्पित करने के उपरान्त ही व्रत खोलते हैं। साँयकाल की आरती एवं पुष्पाञ्जलि के पश्चात् भोग-प्रसाद ग्रहण करके दिन भर का उपवास खोला जाता है।

दुर्गा पूजा के अन्य अनुष्ठानों के समान, पुष्पाञ्जलि भी एक सामुदायिक कार्यक्रम है, जिसका आयोजन विभिन्न पण्डालों एवं मन्दिरों में सामूहिक रूप से किया जाता है। बेलूर मठ में, प्रत्येक सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तिथि पर सन्ध्याकाल में देवी की भोग आरती के पश्चात् पुष्पाञ्जलि अर्पित की जाती है। भक्तों से पुष्पाञ्जलि अनुष्ठान हेतु नूतन पुष्प लाने का अनुरोध किया जाता है।

पुष्पाञ्जलि के समय, एक बंगाली ब्राह्मण पुजारी जी पुष्पाञ्जलि मन्त्र का जाप करते हैं तथा जो लोग अञ्जलि अर्पित करने हेतु एकत्रित होते हैं, वे पुजारी जी के साथ-साथ मन्त्र दोहराते हैं। नूतन पुष्प एवं वैकल्पिक रूप से बेल पत्र को अञ्जलि में रखा जाता है तथा मन्त्र पढ़ने के उपरान्त देवी दुर्गा के चरणों में अर्पित कर दिया जाता है। तीन भिन्न-भिन्न पुष्पाञ्जलि मन्त्रों के साथ निरन्तर तीन पुष्पाञ्जलि अर्पित की जाती हैं।

पुष्पाञ्जलि अर्पण के समय निम्नलिखित मन्त्र का जाप किया जाता है -

पहली बार हेतु पुष्पाञ्जलि मन्त्र

प्रथम पुष्पाञ्जलि मन्त्र के अक्षर संस्कृत, बांग्ला तथा अंग्रेजी में अनुवाद सहित निम्नलिखित हैैं -

ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥

ওঁ জয়ন্তি, মঙ্গলা, কালি, ভদ্রকালি, কপালিনি।
দূর্গা, শিবা, ক্ষমা, ধাত্রি, স্বাহা, স্বধা, নমোহস্তু তে॥
এষ সচন্দন গন্ধ পুস্প বিল্ব পত্রাঞ্জলিঃ, ওঁ হ্রীং দুর্গায়ৈ নমঃ॥

Om Jayanti, Mangala, Kali, Bhadrakali, Kapalini।
Durga, Shiva, Kshama, Dhatri, Svaha, Svadha Namostu Te॥
Esha Sachandana Gandha Pushpa Bilva Patranjali Om Hreem Durgayai Namah॥

अर्थ - हे, जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा, मेरी सम्पूर्ण श्रद्धा आपको समर्पित है। माँ दुर्गा, आपको बारम्बार नमस्कार!

दूसरी बार हेतु पुष्पाञ्जलि मन्त्र

दूसरा पुष्पाञ्जलि मन्त्र, संस्कृत, बांग्ला तथा अंग्रेजी में अनुवाद सहित निम्नलिखित है -

ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥

ওঁ মহিসাগ্নি, মহামায়ে, চামুন্ডে, মুন্ডমালিনি।
আয়ুরারোগ্য বিজয়ং দেহি দেবি নমোহস্তু তে॥
এষ সচন্দন গন্ধ পুস্প বিল্ব পত্রাঞ্জলিঃ, ওঁ হ্রীং দুর্গায়ৈ নমঃ॥

Om Mahishaghni Mahamaye Chamunde Mundamalini।
Ayurarogyavijayam Dehi Devi Namostu Te॥
Esha Sachandana Gandha Pushpa Bilva Patranjali Om Hreem Durgayai Namah॥

अर्थ - हे महामाया, चामुण्डे, मुण्डमालिनी, मुझे दीर्घायु, विजय एवं मुक्ति प्रदान करें। मैं आपको अपनी अञ्जलि के पुष्प अर्पित कर रहा हूँ। माँ दुर्गा, आपको बारम्बार नमस्कार है !

तीसरी बार हेतु पुष्पाञ्जलि मन्त्र

तीसरा पुष्पाञ्जलि मन्त्र, संस्कृत, बांग्ला तथा अंग्रेजी में अनुवाद सहित निम्नलिखित है -

ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥१॥

सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि!।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते॥२॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे!।
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते॥३॥

ওঁ সর্বমঙ্গলমঙ্গল্যে, শিবে, সর্বার্থসাধিকে।
শরণ্যে, ত্রামবকে গৌরী, নারায়নি নমোহস্তু তে॥১॥

সৃষ্টিস্থিতি বিনাশানাং, শক্তিভূতে, সনাতনি।
গুণাশ্রয়ে, গুণময়ে, নারায়নি, নমোহস্তু তে॥২॥

শরণাগত দীনার্ত পরিত্রাণ পরায়ণে।
সর্বস্যার্তিহরে, দেবি, নারায়নি, নমোহস্তু তে॥৩॥

Om Sarva Mangala Mangalye Shive Sarvartha Sadhike।
Sharanye Tryambake Gauri Narayani Namostu Te॥1॥

Srishti Sthiti Vinashanam, Shaktibhute, Sanatani।
Gunashraye, Gunamaye, Narayani, Namostu Te॥2॥

Sharanagata Dinarta Paritrana Parayane।
Sarvasyartihare Devi! Narayani! Namostu Te॥3॥

अर्थ 1 - हे! समस्त शुभ वस्तुओं में शुभता के रूप में व्याप्त रहने वाले भगवान शिव की अर्द्धांगिनी, हमारे सभी लक्ष्यों को पूर्ण करने वाले! हमारी एकमात्र आश्रयदाता! हे त्रिनेत्र गौरी! हे नारायणी! आपको हमारा सत्-सत् नमन है।

अर्थ 2 - जो समस्त सृजन, पालन एवं संहार से परे की शक्ति हैं! हे शाश्वत अविनाशी! हे गुणों की भण्डार, गुणमूर्ति! हे नारायणी! आपको हमारा सत्-सत् नमन है।

अर्थ 3 - अपनी शरण में आने वाले दीन-दुखियों के उद्धार हेतु सदैव तत्पर रहने वाली! हे समस्त दुःखों का नाश करने वाली! हे जगदम्बा माँ भगवती! हे नारायणी! आपको हमारा सत्-सत् नमन है।

बंगाली परम्पराओं के अनुसार, अञ्जलि के पुष्प देवी दुर्गा के पावन चरण कमलों तक पहुँचने चाहिये तथा उन पुष्पों को अन्य स्थानों नहीं फेंकना चाहिये। भक्तों को पुष्पों पर पैर रखने से सावधान रहना चाहिये, अन्यथा ऐसा करने से दुर्भाग्य भोगना पड़ सकता है।

सन्धि पूजा के उपरान्त भी पुष्पाञ्जलि अर्पित की जाती है, जो दुर्गा अष्टमी की पुष्पाञ्जलि से भी अधिक महत्वपूर्ण है। सन्धि पूजा के पश्चात् पुष्पाञ्जलि अर्पित करने वाले भक्तों को एक दिवसीय उपवास पालन करने की सलाह दी जाती है। अष्टमी तिथि के समाप्ति समय के आधार पर, सन्धि पूजा के पश्चात् पुष्पाञ्जलि का मुहूर्त अधिक देर रात्रि में पड़ सकता है। अतः सभी लोग सन्धि पूजा के उपरान्त पुष्पाञ्जलि का आयोजन नहीं करते हैं।

Kalash
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