सूर्योदय05:33 ए एम
सूर्यास्त06:43 पी एम
चन्द्रोदय05:46 पी एम
चन्द्रास्त05:14 ए एम, अगस्त 06
शक सम्वत1635 विजय
विक्रम सम्वत1770 शोभकृत्
गुजराती सम्वत1769 क्रोधी
अमान्त महीनाश्रावण
पूर्णिमान्त महीनाश्रावण
वारशनिवार
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिचतुर्दशी - 06:37 पी एम तक
नक्षत्रउत्तराषाढा - 05:10 पी एम तक
योगप्रीति - 07:57 ए एम तक
क्षय योगआयुष्मान् - 03:44 ए एम, अगस्त 06 तक
करणगर - 08:30 ए एम तक
द्वितीय करणवणिज - 06:37 पी एम तक
क्षय करणविष्टि - 04:42 ए एम, अगस्त 06 तक
राहुकाल08:51 ए एम से 10:29 ए एम
गुलिक काल05:33 ए एम से 07:12 ए एम
यमगण्ड01:47 पी एम से 03:25 पी एम
अभिजित मुहूर्त11:42 ए एम से 12:34 पी एम
दुर्मुहूर्त05:33 ए एम से 06:26 ए एम
दुर्मुहूर्त06:26 ए एम से 07:18 ए एम
अमृत काल11:31 ए एम से 12:56 पी एम
अमृत काल05:03 ए एम, अगस्त 06 से 06:27 ए एम, अगस्त 06
वर्ज्य08:40 पी एम से 10:03 पी एम
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Bolpur, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है -
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियां शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।