सूर्योदय06:23 ए एम
सूर्यास्त05:21 पी एम
चन्द्रोदय04:16 पी एम
चन्द्रास्त06:19 ए एम, फरवरी 16
शक सम्वत2144 दुन्दुभी
विक्रम सम्वत2279 बहुधान्य
गुजराती सम्वत2279 भाव
अमान्त महीनामाघ
पूर्णिमान्त महीनामाघ
वारशनिवार
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिचतुर्दशी - 04:50 पी एम तक
योगआयुष्मान् - 07:25 ए एम तक
क्षय योगसौभाग्य - 03:20 ए एम, फरवरी 16 तक
करणगर - 06:32 ए एम तक
द्वितीय करणवणिज - 04:50 पी एम तक
क्षय करणविष्टि - 03:03 ए एम, फरवरी 16 तक
राहुकाल09:07 ए एम से 10:30 ए एम
गुलिक काल06:23 ए एम से 07:45 ए एम
यमगण्ड01:14 पी एम से 02:36 पी एम
अभिजित मुहूर्त11:30 ए एम से 12:14 पी एम
दुर्मुहूर्त06:23 ए एम से 07:07 ए एम
दुर्मुहूर्त07:07 ए एम से 07:51 ए एम
अमृत काल10:21 ए एम से 11:47 ए एम
वर्ज्य03:21 ए एम, फरवरी 16 से 04:46 ए एम, फरवरी 16
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Baabda, Lebanon के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है -
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियां शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।