सूर्योदय06:07 ए एम, अगस्त 19
सूर्यास्त05:48 पी एम, अगस्त 19
चन्द्रोदय06:20 पी एम, अगस्त 19
चन्द्रास्त06:18 ए एम, अगस्त 19
शक सम्वत2405 सुभानु
विक्रम सम्वत2540 शुभकृत्
गुजराती सम्वत2539 जय
अमान्त महीनाश्रावण
पूर्णिमान्त महीनाभाद्रपद
वारबुधवार
पक्षकृष्ण पक्ष
तिथिप्रतिपदा - 12:27 ए एम, अगस्त 20 तक
नक्षत्रधनिष्ठा - 09:37 पी एम, अगस्त 19 तक
योगसौभाग्य - 07:15 ए एम, अगस्त 19 तक
क्षय योगशोभन - 03:04 ए एम, अगस्त 20 तक
करणबालव - 02:20 पी एम, अगस्त 19 तक
द्वितीय करणकौलव - 12:27 ए एम, अगस्त 20 तक
चन्द्र राशिमकर - 11:05 ए एम, अगस्त 19 तक
राहुकाल11:57 ए एम से 0x20bb0011 01:25
गुलिक काल10:30 ए एम से 0x20bb0011 11:57
यमगण्ड07:34 ए एम से 0x20bb0011 09:02
अभिजित मुहूर्तकोई नहीं
दुर्मुहूर्त11:34 ए एम, अगस्त 19 से 12:21 पी एम, अगस्त 19
अमृत काल12:30 पी एम, अगस्त 19 से 01:54 पी एम, अगस्त 19
वर्ज्य03:59 ए एम, अगस्त 20 से 05:24 ए एम, अगस्त 20
टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Leava, Wallis and Futuna के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है -
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियां शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।