सूर्योदय06:53
सूर्यास्त17:22
चन्द्रोदय17:03
शक सम्वत2442 रौद्र
विक्रम सम्वत2577 प्रमाथी
गुजराती सम्वत2577 अङ्गिरा
अमान्त महीनाकार्तिक
पूर्णिमान्त महीनाकार्तिक
वारसोमवार
पक्षशुक्ल पक्ष
तिथिचतुर्दशी - 11:42 तक
योगवरीयान् - 23:27 तक
करणवणिज - 11:42 तक
द्वितीय करणविष्टि - 21:49 तक
चन्द्र राशिमेष - 27:25+ तक
राहुकाल08:11 से 09:30
गुलिक काल13:26 से 14:45
यमगण्ड10:49 से 12:07
अभिजित मुहूर्त11:46 से 12:28
दुर्मुहूर्त12:28 से 13:10
दुर्मुहूर्त14:34 से 15:16
अमृत काल17:58 से 19:22
वर्ज्य09:34 से 10:58
टिप्पणी: सभी समय २४:००+ प्रारूप में Jhinjhana, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय २४:०० से अधिक हैं और आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
हिन्दु कैलेण्डर में दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होता है और अगले दिन स्थानीय सूर्योदय के साथ समाप्त होता है। क्योंकि सूर्योदय का समय सभी शहरों के लिए अलग है, इसीलिए हिन्दु कैलेण्डर जो एक शहर के लिए बना है वो किसी अन्य शहर के लिए मान्य नहीं है। इसलिए स्थान आधारित हिन्दु कैलेण्डर, जैसे की द्रिकपञ्चाङ्ग डोट कॉम, का उपयोग महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, प्रत्येक हिन्दु दिन में पांच तत्व या अंग होते हैं। इन पांच अँगों का नाम निम्नलिखित है -
हिन्दु कैलेण्डर के सभी पांच तत्वों को साथ में पञ्चाङ्ग कहते हैं। (संस्कृत में: पञ्चाङ्ग = पंच (पांच) + अंग (हिस्सा)). इसलिए हिन्दु कैलेण्डर जो सभी पांच अँगों को दर्शाता है उसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। दक्षिण भारत में पञ्चाङ्ग को पञ्चाङ्गम कहते हैं।
जब हिन्दु कैलेण्डर में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन त्योहार और राष्ट्रीय छुट्टियां शामिल हों तो वह भारतीय कैलेण्डर के रूप में जाना जाता है।