उगादी पर्व तेलुगु कैलेण्डर में नव वर्ष को चिन्हित करता है। उगादी को तेलुगु नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है तथा यह पर्व चैत्र माह के प्रथम दिवस पर मनाया जाता है। अधिकांश चन्द्र-सौर हिन्दु कैलेण्डरों में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण दिवस होता है तथा इसे विक्रम सम्वत एवं भारतीय नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। उगादी के रूप में नव वर्ष अधिकाशंतः आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में लोकप्रिय है। महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में यही पर्व क्रमशः गुड़ी पड़वा एवं युगादी रूप में मनाया जाता है।
उगादी पर्व को लोकप्रिय रूप से सम्वत्सरादि के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका शाब्दिक अर्थ होता है "नव सम्वत का आरम्भ"। सम्वत्सर साठ (60) वर्षों का एक लम्बा समयचक्र है, जो शुक्र ग्रह की स्थिति से सम्बन्धित है। सम्वत्सर चक्र के अन्तर्गत सभी वर्षों का एक निश्चित नाम होता है तथा सम्वत के प्रकृति के आधार पर आगामी वर्ष हेतु भविष्यवाणी की जाती है।
उगादी चन्द्र-सौर आधारित हिन्दु कैलेण्डर का प्रथम दिवस है। अधिकांश हिन्दु कैलेण्डर एक प्राचीन ग्रन्थ पर आधारित हैं, जिसे सूर्य सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार, स्वयं सूर्यदेव ने ही मनुष्यों को सूर्य सिद्धान्त का ज्ञान प्रदान किया था। इसीलिये उगादी पर्व की उत्पत्ति की तिथि निर्धारित करना असम्भव हो सकता है।
ज्योतिष के अनुसार, उगादी पर्व का दिन अति महत्वपूर्ण होता है। उगादी पर्व साढ़े तीन मुहूर्त के अन्तर्गत आता है। वैदिक ज्योतिष में उगादी, अक्षय तृतीया, विजयदशमी तथा बलि प्रतिपदा के आधे भाग के संयोजन से साढ़े तीन मुहूर्त का निर्माण होता है। इन दिवसों पर किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। मान्यता है कि, इन दिवसों पर किये गये सभी कार्य सकारात्मक एवं शुभ परिणाम देता है। उगादी पर्व खरीदारी के लिये भी महत्वपूर्ण होता है तथा लोग इस दिन ढेर सारी खरीदारी करते हैं।
उगादी का कोई विशेष इष्ट आराध्य नहीं है। यद्यपि इस दिन लोग पारम्परिक रूप से नव वर्ष का पञ्चाङ्ग सुनने के लिये संगठित होते हैं, जिसके अन्तर्गत आगामी वर्ष से सम्बन्धित सामान्य भविष्यवाणी की जाती है। पञ्चाङ्ग सुनने की इस परम्परा को पञ्चाङ्ग श्रवणम् कहा जाता है। पञ्चाङ्ग श्रवणम् एक अनौपचारिक सामाजिक समारोह है, जिसमें एक बृद्ध एवं गणमान्य व्यक्ति पञ्चाङ्ग पढ़ता है तथा लोगों की जन्मराशि के आधार पर वार्षिक भविष्यफल बताता है।
अमान्त एवं पूर्णिमान्त हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार -
चैत्र माह (प्रथम हिन्दु माह) की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि (प्रथम दिवस)
यदि चैत्र माह अधिक मास हो जाता है, तो प्रथम माह शुद्ध चैत्र माह तथा दूसरा अधिक माह होता है। जब भी ऐसा होता है तो उगादी पर्व के सभी अनुष्ठान शुद्ध चैत्र माह के प्रथम दिवस पर सम्पन्न किये जाते हैं। यद्यपि लोग संकल्प में नव सम्वत के नाम का उपयोग अधिक चैत्र माह से आरम्भ करते हैं।
उगादी पर्व के महत्वपूर्ण अनुष्ठान -