टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में कोलंबस, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।
दुर्वाष्टमी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी पर किया जाता है। दुर्वाष्टमी व्रत मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मन्थन के समय भगवान विष्णु कूर्म अवतार धारण करके मन्दराचल पर्वत की धुरी में विराजमान हो गये। मन्दराचल पर्वत के तीव्र गति से घूमने के कारण, उसकी रगड़ से भगवान विष्णु की जंघा से कुछ रोम निकलकर समुद्र में गिर गये। अमृत के प्रभाव से भगवान विष्णु के रोम पृथ्वीलोक पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हुये। इसलिये दूर्वा को अत्यन्त पवित्र माना जाता है तथा दुर्वाष्टमी पर दूर्वा घास का पूजन किया जाता है।