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1608 पूर्णिमा | पूर्ण चन्द्रमा के दिन Bawana, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, भारत के लिए

DeepakDeepak

1608 पूर्णिमा के दिन

पूर्णिमा
2 दिन शेष
वैशाख पूर्णिमा
वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा
Bawana, भारत
23
मई 2024
बृहस्पतिवार
1608 पूर्णिमा के दिन
[1664 - 1665] विक्रम सम्वत
पौष पूर्णिमा व्रत
जनवरी 1, 1608, मंगलवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
पौष, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 10:02 ए एम, जनवरी 01
समाप्त - 10:59 ए एम, जनवरी 02
पौष पूर्णिमा
जनवरी 2, 1608, बुधवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
पौष, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 10:02 ए एम, जनवरी 01
समाप्त - 10:59 ए एम, जनवरी 02
माघ पूर्णिमा व्रत
जनवरी 31, 1608, बृहस्पतिवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
माघ, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 03:15 ए एम, जनवरी 31
समाप्त - 05:27 ए एम, फरवरी 01
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 09:50 पी एम, फरवरी 29
समाप्त - 12:30 ए एम, मार्च 02
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
चैत्र, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 04:02 पी एम, मार्च 30
समाप्त - 06:17 पी एम, मार्च 31
वैशाख पूर्णिमा व्रत
अप्रैल 29, 1608, मंगलवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 08:21 ए एम, अप्रैल 29
समाप्त - 09:32 ए एम, अप्रैल 30
वैशाख पूर्णिमा
अप्रैल 30, 1608, बुधवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 08:21 ए एम, अप्रैल 29
समाप्त - 09:32 ए एम, अप्रैल 30
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
ज्येष्ठ, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 10:12 पी एम, मई 28
समाप्त - 10:03 पी एम, मई 29
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
जून 27, 1608, शुक्रवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 09:49 ए एम, जून 27
समाप्त - 08:22 ए एम, जून 28
आषाढ़ पूर्णिमा
जून 28, 1608, शनिवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 09:49 ए एम, जून 27
समाप्त - 08:22 ए एम, जून 28
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 07:48 पी एम, जुलाई 26
समाप्त - 05:14 पी एम, जुलाई 27
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 04:51 ए एम, अगस्त 25
समाप्त - 01:27 ए एम, अगस्त 26
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
सितम्बर 23, 1608, मंगलवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 01:32 पी एम, सितम्बर 23
समाप्त - 09:41 ए एम, सितम्बर 24
भाद्रपद पूर्णिमा
सितम्बर 24, 1608, बुधवार
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 01:32 पी एम, सितम्बर 23
समाप्त - 09:41 ए एम, सितम्बर 24
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
आश्विन, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 10:26 पी एम, अक्टूबर 22
समाप्त - 06:40 पी एम, अक्टूबर 23
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 08:10 ए एम, नवम्बर 21
समाप्त - 05:07 ए एम, नवम्बर 22
पूर्णिमा
शुक्ल पूर्णिमा
मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
प्रारम्भ - 07:26 पी एम, दिसम्बर 20
समाप्त - 05:39 पी एम, दिसम्बर 21

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Bawana, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

1608 पूर्णिमा के दिन

Purnima Vrat

यह पृष्ठ हिन्दु चन्द्र कैलेण्डर के अनुसार उदय व्यापिनी पूर्णिमा के दिनों को सूचीबद्ध करता है। यह जरुरी नहीं कि श्री सत्यनारायण पूजा के लिए यह तालिका उपयुक्त हो। पूर्णिमासी का व्रत पूर्णिमा के दिन या पूर्णिमा के एक दिन पहले हो सकता है और यह पिछले दिन पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के समय पर निर्भर करता है।

पूर्णिमा व्रत और श्री सत्यनारायण पूजा जो कि पूर्ण चन्द्रमा के दिन होते है, पूर्णिमा तिथि के एक दिन पहले भी हो सकते हैं। श्री सत्यनारायण व्रत के दिनों के बारे में जानने के लिए श्री सत्यनारायण पूजा पृष्ठ को देखिये।

पूर्णिमासी व्रत पूर्णिमा के दिन या पूर्णिमा के एक दिन पहले अर्थात चतुर्दशी के दिन किया जाता है। उपवास का दिन पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के समय पर निर्भर करता है।

पूर्णिमासी व्रत

पूर्णिमा का व्रत चतुर्दशी के दिन केवल तब होता है जब पूर्णिमा पिछले दिन मध्याह्न के दौरान ही शुरू हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर चतुर्दशी मध्याह्न के बाद भी प्रबल रहती है तो वह पूर्णिमा तिथि को अशुद्ध कर देती है और ऐसा चतुर्दशी का दिन पूर्णिमा उपवास के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। ऐसा होने पर सम्पूर्ण सांयकाल व्यापिनी पूर्णिमा वाले दिन का भी त्याग कर दिया जाता है। पूर्णिमासी के इस नियम पर कोई मतभेद नहीं है और द्रिक पञ्चाङ्ग पूर्णिमा व्रत के दिनों के लिए इसी नियम का पालन करता है।

उत्तरी भारत में जिस दिन पुरा चाँद होता है उसे पूर्णिमा कहते हैं और दक्षिणी भारत में जिस दिन पूरा चाँद होता है उसे पूर्णामी कहते हैं। दक्षिणी भारत में इस दिन का उपवास पूर्णामी व्रतम के नाम से जाना जाता है। पूर्णामी व्रतम सूर्योदय से लेकर चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।

पूर्णिमा व्रत के दिन किन्ही दो स्थानों के लिए अलग-अलग भी हो सकते हैं। इसीलिए हर किसी को पूर्णिमा व्रत के दिन देखने से पहले अपना शहर का चुनाव कर बदल लेना चाहिए।

Kalash
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